रुइया के नेतृत्व वाले एस्सार समूह ने कहा कि उसने एस्सार ऑयल में 98 फीसदी हिस्सेदारी रोसनेफ्ट और ट्राफिगरा-यूनाइटेड कैपिटल पाटर्नर्स (यूसीपी) कंसोर्टियम को बेचने का सौदा पूरा कर लिया है। नए मालिक ने सोमवार को कंपनी की कमान संभाल ली और जल्द ही नई परिसंपत्ति विकास योजना बनाई जा सकती है। एस्सार ऑयल के नए चेयरमैन टोनी फाउंटेन ने कहा, 'परिसंपत्ति विकास योजना को अंतिम रूप दिया जाएगा ताकि आगे मौजूदा संयंत्रों में निवेश किया जा सके।' नए बोर्ड में रोसनेफ्ट के चार, ट्राफिगरा के दो और यूसीपी के दो नामित सदस्य होंगे। बोर्ड में भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) का भी एक नामित सदस्य होगा। हालांकि फाउंटेन ने कहा कि कंपनी में एलआईसी के निवेश का भुगतान कर दिया जाएगा।
बोर्ड में दो स्वतंत्र निदेशक भी होंगे। एलआईसी को छोड़कर सभी नामित सदस्यों को गैर-कार्यकारी के तौर पर नियुक्त किया जाएगा। पुराने प्रबंधन के जिन सदस्यों को बरकरार रखा गया है, उनमें एस्सार ऑयल के पूर्व मुख्य कार्याधिकारी एल के गुप्ता शामिल हैं। गुप्ता नए प्रबंधन के साथ वरिष्ठ सलाहकार के तौर पर अपनी सेवाएं देंगे। मनोहरन चक्रपाणि भी एस्सार ऑयल के रिफाइनरी के निदेशक के तौर पर अपनी सेवाएं जारी रखेंगे।
कंपनी ने बी आनंद को एस्सार ऑयल का नया मुख्य कार्याधिकारी बनाया है। आनंद पहले ट्राफिगरा इंडिया प्राइवेट लि. के मुख्य वित्त अधिकारी थे। आनंद फ्यूचर समूह के समूह निदेशक पद पर भी अपनी सेवाएं दे चुके हैं और वेदांत रिसोर्सेेस समूह में वरिष्ठï पदों पर रह चुके हैं। नए मालिक एस्सार ऑयल को एस्सार ब्रांड के तहत ही चलाएंगे और ब्रांड से संबंधित लाइसेंस शुल्क का भुगतान एस्सार समूह को किया जाएगा। रोसनेफ्ट कंसोर्टियम के प्रतिनिधियों ने कहा कि एस्सार समूह के साथ गैर-प्रतिस्पर्धी करार भी किया गया है, लेकिन उन्होंने इस करार की अवधि का खुलासा नहीं किया।
इस सौदे को भारत में अब तक का सबसे बड़ा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश बताया और रूस की ओर से विदेश में इसे सबसे बड़ा निवेश बताया जा रहा है। इस सौदे से एस्सार समूह अपने कर्ज को 70,000 करोड़ रुपये तक कम कर सकता है। इससे समूह के खाते में कर्ज घटकर अब करीब 40,000 करोड़ रुपये रह जाएगा। सौदे के पूरा होने से एस्सार समूह की परिसंपत्तियां अब 17 अरब डॉलर की रह जाएगी, जिनमें स्टील, बिजली, बंदरगार, शिपिंग, रिफाइनिंग एवं गैस परिचालन संयंत्र शामिल होंगे। बैंकरों ने कहा कि इस सौदे से एस्सार समूह को अपना ऋण बोझ घटाने में मदद मिलेगी लेकिन इस्पात एवं बिजली कारोबार की समस्याओं से निपटने की उसकी वास्तविक चुनौती बरकरार रहेगी। मांग में नरमी के कारण इन दोनों इकाइयों काफी दबाव का सामना करना पड़ रहा है। इससे समूह की ऋण अदायगी क्षमता पर दबाव बढ़ गया है। नैशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल के अहमाबाद पीठ ने इस महीने के आरंभ में एस्सार स्टील के खिलाफ दिवालिया याचिका दायर की है। इस सौदे से एस्सार स्टील के ऋण बोझ पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। एस्सार ऑयल अब देश में अपने खुदरा नेटवर्क को 3,500 आउटलेट से बढ़ाकर 6,000 आउटलेट करने की तैयारी करेगी। हालांकि कंपनी ने अपने खुदरा नेटवर्क में विस्तार के लिए किसी समय-सीमा का खुलासा नहीं किया। एस्सार के वाडिनार संयंत्र में भी विस्तार की काफी गुंजाइश है। विस्तार योजनाओं के बारे में नए प्रबंधन ने कहा कि सभी विस्तार योजनाओं पर नए सिरे से गौर किया जाएगा और परिसंपत्ति विकास योजना के तहत उसकी समीक्षा की जाएगी। समझा जाता है कि विकास योजना की रूपरेखा तैयार करने के लिए नया प्रबंधन एक विशेष समिति भी गठित कर सकती है।
इस सौदे से संबंधित महत्वपूर्ण तथ्य:
- सौदे का कुल मूल्य- 12.9 अरब डॉलर
- वाडीनार रिफाइनिंग और रिटेल कारोबार -10.9 अरब डॉलर
- वाडीनार पोर्ट और संबंधित बुनियादी ढांचा-2 अरब डॉलर
- सहायक इकाई पेट्रोल कॉम्प्लेक्स के जरिये होगी रोसनेफ्ट की 49.13 फीसदी हिस्सेदारी
- ट्राफिगरा-यूनाइटेड कैपिटल पार्टनर्स कंसोर्टियम की होगी 49.13 फीसदी हिस्सेदारी
- रिटेल शेयरधारकों का हिस्सा 1.74 फीसदी
- सौदे से एस्सार समूह का कर्ज 11 अरब डॉलर तक घट जाएगा
- नए मालिक पर होगी 5 अरब डॉलर कर्ज की देनदारी