अकबर
- अकबर का जनम 1542 मे अमरकोट के राजा वीरसाल के महल मे हुआ था ।
- अकबर के बाप का नाम हुमायू था व इसकी माँ नाम हमीदा बानो बेगम था ।
- हुमायू ने 9 साल की उम्र मे अकबर को गजनी का सूबेदार बनाया । हुमायू की मौत के समय यह लाहौर का सूबेदार था ।
- इसका संरक्षक बैरम खान था । बैरम खान से पहले अकबर का संरक्षक मुनीम खान था ।
- हेमू ओर तारदी बेगम ( मुग़ल सेनापति ) से दिल्ली छिन ली ।
- पानीपत का दूसरा युद्ध 5 नवम्बर 1556 मे अकबर ओर हेमू के बीच लड़ा गया । हेमू की आँख मे तीर लग गया ओर उसकी सेना भाग गई । इस तरह से अकबर ये युद्ध जीत गया ।
- बैरम खान ने तारदी बेगम को फांसी दे दी और हेमू को भी मार दिया गया ।
- हेमू ने विक्रमादित्य की उपाधि धारण कर रखी थी । वस्तुतः हेमू अंतिम ओर 14 वा राजा था जिसने विक्रमादित्य की उपाधि धारण की थी ।
- 1556 से 1560 के बीच अकबर बैरम खान के संरक्षण मे रहा ।
- अकबर के समय राजधानी आगरा थी ।
- बैरम खान शिया मुसलमान था । शिया मुसलमानो को ज्यादा प्राथमिकता देने का आरोप लगाकर उसे दरबार से निकाल दिया गया । इस पर बैरम खान ने विद्रोह कर दिया ।
- विद्रोह को कुचलकर बैरम खान को अकबर के सामने पेश किया जाता है । अकबर उसके सामने 3 विकल्प रखता है:-
- काल्पी और चँदेरी की सूबेदारी
- गुप्त मामलो मे बादशाह के सलाहकार
हज यात्रा
- बैरम खान हज यात्रा चला जाता है । अहमदाबाद के पास पाटन नामक जगह पर अफगान मुबारिज खान बैरम खान की हत्या कर देता है ।
- बैरम खान की पत्नी सलीमा बेग़म से अकबर शादी कर लेता है और उसके पुत्र रहीम खान को अपने नवरतनों मे स्थान देता है । जिसे अब्दुल रहीम खान खाना के नाम से जाना जाता है ।
- 1560 से 1562 के समय को पेटीकोट शासन कहा गया क्योकि इस समय अकबर 3 औरतों के संरक्षण मे रहा और सारे शासन की बागडोर इन औरतों ने संभाली । माहम अलगा ( महामंगा ) , जीजी अनगा ( महामंगा की बेटी ) हमीदा बेग़म ( अकबर की माँ )
- महामंगा के बेटे (आदम खान ) ने वजीर बनने के लालच मे तत्कालीन वजीर की हत्या कर दी ।
- इसकी सज़ा के बदले आदम खान को आगरा के किले से नीचे फिकवा दिया गया और उसकी जान निकाल गई । इसके बाद महामंगा की भी मौत हो गई ।
- 1562 मे अकबर स्वतंत्र शासक के रूप मे सामने आया जिसे उसकी हरम दल से आज़ादी कहा गया ।
- 1562 मे अकबर ने धर्मांतरण पर रोक लगा दी
- 1563 मे तीर्थ यात्रा कर समाप्त कर दिया
- 1564 मे जज़िया कर समाप्त कर दिया । जज़िया कर गैर मुसलमानो से लिया जाने वाला धार्मिक कर था ( जज़िया कर सबसे पहले मुहम्मद बिन कासिम ले लगाया जिसे अकबर ने बंद किया , पुनः औरंगजेब के द्वारा लगाया गया )
- 1562 मे अकबर जब ख्वाजा मुइनूद्दीन चिश्ती की दरगाह पर अजमेर जा रहा था तो आमेर जयपुर का राजा भारमल स्वयम अधीनता स्वीकार करते हुये अकबर के सामने हरकू बाई ( जोधा ) का विवाह प्रस्ताव रखता है ।
- अकबर और हरकू बाई की शादी सांभर मे कर दी जाती है ।
- इस प्रकार राजा भारमल ( कछवाह राजपूत ) पहला राजपूत बना जिसने अकबर की अधीनता स्वीकार की
- हरकू बाई मरियम उज्जमानी के नाम से भी जानी जाती थी ।
अकबर के सैनिक अभियान
मालवा अभियान 1561 è
- मालवा का राजा बाज़ बहादुर था ( अफगान शेरशाह वंशज )
- मालवा अभियान मे अकबर का सेनापति आधम खान था ।
- बाज बहादुर हार जाता है ओर उसकी प्रेमिका रानी रूपमति आत्मदाह कर लेती है ।
- रानी रूपमति का महल मांडू मे है ( मांडू को महलो की नगरी कहा जाता है यहा जहाज महल , रूपमति का महल , हिंडोला भवन आदि है मांडू मध्य प्रदेश मे है )
- बाज बहादुर भाग कर चित्तौड़ चला जाता है और बाद मे अकबर के दरबार मे जाता है ।
- अकबर उसे 2000 का मनसबदार बना देता है ।
- बाज बहादुर संगीत मे प्रवीण था इसलिए वह अकबर के नौरत्नों मे भी शामिल था ।
- रानी रूपमति और बाज बहादुर की छतरी उज्जैन मे है उज्जैन मे ही दुर्गादास राठोड की भी छतरी है ।
- उज्जैन मध्य प्रदेश मे है इसे मंदिरो की नगरी , पवित्र नगरी कहा जाता है ।
- उज्जैन मे क्षिप्रा नदी के तट पर महाकालेश्वर मंदिर है जहा पर कुम्भ का मेला लगता है यहा पर अगला कुम्भ 2028 मे आयोजित होगा
गोंडवाना अभियान 1564 è
- गोंडवाना की रानी चंदेल राजकुमारी दुर्गावती थी जो अपने बेटे की संरक्षिका थी ।
- अकबर का सेनापति आसफ खान था
- गोंडवाना की राजधानी चौरागढ़ थी ।
चित्तोडगढ़ अभियान 1567 - 68 è
- अकबर स्वयं गया
- चित्तौड़ का राजा उदयसिंह ( महाराणा प्रताप का पिता ) अपने सेनानायकों को लड़ाई मे छोडकर पहाड़ियो मे चला गया
- उदयसिंह की सेना मे जयमल ( मेड़ता के शासक बीरम देव का बेटा ) , फत्ता ( जयमल का बहनोई ) दो वीर योद्धा थे ।
- यहा पर अकबर ने कत्ले आम करवाया जो अकबर के जीवन काल का प्रथम ओर अंतिम नरसंहार था । चित्तौड़ का यह तीसरा जौहर था ।
- अकबर जयमल ओर फत्ता की बहदुरी से प्रसन्न हुआ ओर आगरा के किले के बाहर इनकी मूर्तिया लगवाई । इन दोनों की मूर्तिया जूनागढ़ ( जमीन का जेवर ) के किले के बाहर भी है ।
- चित्तौड़ विजय के बाद अकबर ने गाजी की उपाधि धारण की ।
- गुजरात अभियान 1572-73
- इस समय गुजरात का शासक मुजफ्फर शाह 3 था ।
- गुजरात की जीत कर अकबर वापिस आ जाता है अकबर के जाने के बाद मुजफ्फर शाह पुनः गुजरात पर वापिस कब्जा कर लेता है ।
- अकबर पुनः गुजरात आता है केवल 11 दिन अकबर गुजरात पहुँच जाता है ।
- इतिहासकर स्मिथ इसे दुनिया का तीव्रतम अभियान कहता है ।
- गुजरात विजय के उपलक्ष मे अकबर फ़तेहपुर सिकरी मे बुलंद दरवाजा का निर्माण कराता है
- अकबर गुजरात मे किरोड़ी नामक राजस्व अधिकारी नियुक्त करता है जिसका काम एक करोड़ दाम वसूलना है ( 1 करोड़ = लगभग ढाई लाख )
- चित्तौड़ अभियान 1576
- 1576 अकबर और महाराणा प्रताप की सेना के मध्य हल्दी घाटी का युद्ध हुआ
- इसमे अकबर की तरफ से जलाल खान , मानसिंह , भगवान दास , टोडरमल थे ।
- मानसिंह की विजय हुई
- चित्तौड़ का राजा महाराणा प्रताप थे । प्रताप के घोड़े का नाम चेतक था । इससे पहले घोड़े का सारंग था । चेतक के बाद जो घोडा उनके पास था उसका नाम एटक था जो की उनके भाई शक्ति सिंह ने दिया था ।
- प्रताप की माता का नाम जैवन्ता बाई था
- इनके बचपन का नाम कीका था इनकी समाधि बांडोली उदयपुर मे है ( चेतक की समाधि बलीचा गाँव राजसमंद मे है )
- 1586 मे अकबर ने कश्मीर पर हमला बोला । उस समय वह पर युसुफ़जई और अफरीदी जन जातियो का राज था ।
- इस दौरान बीरबल मारा जाता है ।
- 1596 मे कंधार, बलूचिस्तान और अहमद नगर को जीता उस समय अहमदनगर पर रानी चाँद बीबी राज करती थी
- 1601 मे खानदेश पर हमला किया । खानदेश की दो राजधानी बुरहानपुर और असीरगढ़ थी ।
- असीरगढ़ का किला बुरहानपुर मे है जहा मुमताज़ बेग़म की प्रसव पीड़ा से मृत्यु हुई थी ।
- मुमताज़ महल का मकबरा यही पर है ।
- 1665 मे हज यात्रा के दौरान बैरम खान की हत्या हो जाती है
- अबुल फज़ल की हत्या वीर सिंह बुंदेला ( ओरछा का शासक ) जहाँगीर के हुकुम पर कर देता है ।
- 1575 मे अकबर ने फ़तेहपुर सिकरी मे इबादत खाने का निर्माण करवाया
- इसमे धार्मिक चर्चाए होती थी केवल मुसलमान ही आ सकते थे ।
- 1578 मे इबादत खाने को सभी धर्मो के लिए खोल दिया गया ।
- 1579 मे अकबर ने मजहर की घोषणा की । यानि की अकबर ने खुद को धरम का प्रधान पुरोहित घोषित कर दिया
- इस मजहर का प्रारूप अबुल फज़ल ने किया था
- 1582 मे अकबर ने नया धर्म दीन ए इलाहि चलाया
- इसमे अकबर स्वयं रविवार को दीक्षा देता था
- दीन ए इलाही धर्म का प्रधान पुरोहित अबुल फज़ल था
- अकबर ने सिक्खो के चौथे गुरु रामदास को अमृतसर मे 500 बीघा ज़मीन दी
- इसी दान की गई ज़मीन पर हरमंदिर साहिब का निर्माण किया गया । जिस पर महाराजा रणजीत सिंह से सोना चड़ाया तब से उसी मंदिर को स्वर्ण मंदिर कहा जाने लगा
- स्वर्ण मंदिर की नीव सूफी संत मियां मीर ने रखी थी ।
अकबर के नवरत्न
- बीरबल
- जनम – काल्पी ( मध्य प्रदेश )
- वास्तविक नाम – महेश दास
- मृत्यु – 1586
- तानसेन
- वास्तविक नाम – रामतनु पांडे
- पहले ये रीवा के राजा रामचन्द्र के दरबार मे था ।
- इनके गुरु का नाम स्वामी हरिदास था ( बैजु बावरा भी इन्ही के शिष्य थे )
- तानसेन का दूसरा गुरु मौहम्मद गौस था
- मौहम्मद गौस सूफी संत थे जो सत्तारा सिलसिले से संबन्धित थे
- अकबर ने तानसेन को कंठाभरणवनिविलस की उपाधि दी
- अबुल फज़ल
- अकबर नामा लिखा ( अकबर नामा का तीसरा भाग आईने ए अकबरी कहलाता है )
- अबुल फज़ल के भाई का नाम फैज़ी था
- ये नागौर के थे
- फैज़ी
- अबुल फज़ल का बड़ा भाई था
- अकबर ने इसे राजकवि की उपाधि दी
- इसके निर्देशन मे महाभारत का फारसी अनुवाद रज़्मनाना के नाम से हुआ
- अब्दुल रहीम खानखाना
- बैरम खाँ का बेटा
- जहाँगीर का गुरु
- टोडरमल
- पहले शेरशाह सूरी के दरबार मे था
- 1562 मे अकबर की सेवा मे आए
- 1572 मे इसको गुजरात का दीवान बनाया गया
- 1582 मे दीवान ए अशरफी ( प्रधान मंत्री ) बनाया गया
- इन्होने भूमि की जब्ती व्यवस्था शुरू की
- 1580 मे आईने ए दहसाला शुरू की ( इसे टोडरमल बंदोबस्त भी कहते है )
- मानसिंह
- आमेर का राजा , 7000 का मनसबदार
- अकबर के काल मे बंगाल और काबुल का गवर्नर
- फकीर अजीउद्दीन
- मुल्ला दो प्याज़ा