mughal kaal itihaas jahangir ( मुग़ल का इतिहास - जहाँगीर )
ONLINE EXAM PREPARATIONMarch 05, 20170
जहाँगीर 1606 – 1627
बचपन का नाम सलीम ( अकबर प्यार से शेखू बाबा कहकर पुकारते थे )
पहली शादी आमेर की राजकुमारी मानबाई से हुआ जिसका नाम शाह बेग़म रखा । मानबाई से जन्मे पुत्र का नाम खुसरो था
मान बाई ने सलीम की शराब की आदत से दुखी होकर आत्महत्या कर ली ( अफीम खाकर )
दूसरी शादी जोधपुर के मोटा राजा उदयसिंह की बेटी जोधा बाई ( जगत गोसाई ) के साथ हुआ । इसका बेटा खुर्रम था जो बाद मे शाहजहाँ के नाम से प्रसिद्ध हुआ ।
1606 मे जहाँगीर के शासक बनते ही खुसरो ने विद्रोह कर दिया
खुसरो को विद्रोह के लिए मानसिंह ( मामा ) ओर मिर्ज़ा अज़ीज़ कोका ( ससुर ) ने बहकाया
विद्रोह को सलीम ने दबा दिया खुसरो को अंधा करके जैल मे डाल दिया गया
विद्रोह मे सिक्खो के पांचवे गुरु अर्जुन देव ने खुसरो का साथ दिया था इस कारण जहाँगीर ने उन्हे भी फांसी देकर मार दिया
1621 मे जहाँगीर खुसरो को दक्षिण भारत अभियान मे साथ ले गया और बुरहानपुर मे उसकी हत्या कर दी
जहाँगीर ने 12 राजकीय घोषणाय की
जहाँगीर ने शराब , अफीम और तंबाकू पर रोक लगा दी
इसने यमुना के किनारे पर न्याय की जंजीर लगवाई । प्रजा का कोई भी व्यक्ति इस जंजीर को बाजा सकता था । जंजीर को बजाने वाले को दरबार मे बुलाया जाता था और उसकी समस्या को सुना जाता था ।
ईस न्याय की जंजीर मे 66 घंटिया थी ।
1615 मे चित्तौड़ के साथ संधि शाहजहाँ के नेत्रत्व मे हुई
1617 मे अहमद नगर के अभियान पर खुर्रम को भेजा
उस समय अहमद नगर पर वज़ीर मलिक अंबर ( गुलाबा अबीसीनियाई हब्शि ) था
मलिक अंबर ने अपनी सेना को गुरिल्ला युद्ध पद्धति मे प्रसिक्षित किया था ।
इससे पहले इसने अहमदनगर के कई क्षेत्र जो मुग़लो के अधीन थे वापिस छिन लिए थे ।
मलिक अंबर ने अधीनता स्वीकार कर ली ।
खुर्रम को जहाँगीर ने शाहजहाँ की उपाधि दी ।
मलिक अंबर का बेटा फतेह खाँ था जिसे कालांतर मे अहमद नगर वापिस सौप दिया गया ।
1622 मे कंधार मुग़लो के हाथ से निकाल गया और उस पर ईरान के शाह का अधिकार हो गया ।
जहाँगीर के समय एक दल प्रसिद्ध हुआ जिसका नाम नूरजहां जुंता कहा गया
नूरजहां का असली नाम महरुनिस्सा था ( माँ – अस्मत बेग़म , पिता – मिर्ज़ा गियास बेग )
मिर्ज़ा गियास बेग को जहाँगीर ने एतमाउदौला की उपाधि दी
एत्माउद्दोला का मकबरा दिल्ली मे है
नूरजहां के भाई का नाम आसफ खाँ था
नूरजहां की शादी अली कुली बेग से हुई थी जिसे जहाँगीर ने शेरखान की उपाधि दी थी ।
बाद जहाँगीर ने शेरखान को मृत्यु दंड दिया ( नूरजहां से शादी करने के लिए )
1611 मे जहाँगीर ने नूरजहां से शादी कर ली और उसे पहले तो नूरमहल और बाद मे नूरजहां की उपाधि दी ।
1611 से 1622 तक मुग़ल प्रशासन पर नूरजहां का पूरा प्रभाव रहा ।
नूरजहां ने सिक्को पर अपना नाम लिखवाया ।
नूरजहां जहाँगीर के साथ झरोखा दर्शन देती थी ।
नूरजहां के गुट के सदस्य – एत्माउद्दौला , अस्मत बेग़म , आसफ खाँ , खुर्रम
नूरजहां की माँ अस्मत बेग़म की माँ ने सबसे पहले इत्र की खोज गुलाब का रस निकाल कर की ।
नूरजहां ने जहाँगीर के बेटे शहरयार से अपनी बेटी की शादी कर दी
1622 ने खुर्रम ने भी विद्रोह कर दिया लेकिन उसे माफ के दिया गया
महावत खान जहाँगीर की सेना मे एक योग्य सेना नायक था । महावत खान जहाँगीर के बेटे परवेज़ के पक्ष मे था ।
1626 मे जब महावत खान ने विद्रोह किया। नूरजहां ने महावत खान से युद्ध किया और हार गई । उसे बंदी बनाकर जैल मे डाल दिया । लेकीन वह साजिश से वहा से भाग निकली ।
जहाँगीर के समय केप्टन हाकिन्स 1608 मे भारत आया लेकिन व्यापार की अनुमति प्राप्त नहीं कर सका
1616 मे टॉमस रो भारत अजमेर के दरबार मे आया और जहाँगीर ने व्यापार की अनुमति दे दी ।
जहाँगीर का समय चित्रकला का स्वर्णिम काल था जहाँगीर ने तूज़ुक ए जहांगीरी लिखी जिसे मौतमिद खान और मोहम्मद हाफ़दि ने पूरा किया
जहाँगीर का मकबरा शाहदरा लाहौर मे है जिसे नूरजहां ने बनवाया था ।