mughal kaal itihaas aurangzeb ( मुग़ल काल इतिहास औरंगजेब )
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औरंगजेब
इसने आलमगीर की उपाधि धारण की । इनका बचपन का समय नूरजहां के पास बीता ।
कुरान की आयते लिखकर और टोपिया बनाकर ये अपने व्यक्तिगत खर्चे पूरा करता था ।
1636 से 1644 तक दक्कन का गवर्नर था । इसे मध्य एशिया और कंधार अभियान पर भेजा गया । पुनः 1653 से 1657 तक दक्कन का गर्वेनर बनाया गया ।
मुर्शिद कुली खान को दक्कन का टोडरमल कहा जाता है क्यूकी उसने वह पर कई भूमि सुधार किए ।
उत्तराधिकार के युद्ध मे औरंगजेब हमेशा विजयी रहा । इसने दो बार अपना राजतिलक करवाया । ( आगरा , दिल्ली )
1666 मे शाहजहाँ की मौत हो गई । 1658 से 1666 तक औरंगजेब की कैद मे ही रहा । शाहजहाँ की मौत के बाद ही औरंगजेब आगरा गया ।
1669 मे औरंगजेब ने जज़िया कर और तीर्थ यात्रा कर वापिस लागू कर दिया ।
तिलक प्रथा और झरोखा दर्शन बंद कर दिया ।
सिक्को पर कलमा खुदवाना बंद कर दिया ।
मुस्लिम व्यापारियो के टैक्स माफ कर दिये । मंदिरो के निर्माण पर रोक लगा दी ।
दरबार के संगीतकारो और और चित्रकारों को हटा दिया । पहले के चित्रो को पुतवा दिया ।
ताजिया निकालने पर रोक लगा दी ( स्त्रियो का मस्जिद और संतो और पीरो की मज़ार पर जाने की रोक सिकंदर लोदी ने लगाई थी । आगरा शहर भी सिकंदर लोदी ने बसाया था )
औरंगजेब को ज़िंदा पीर और शाही दरवेश ( शाही पोशाक मे भिखारी ) भी कहा जाता था ।
औरंगजेब वीणा बजाता था । इसके समय संगीतकारो का जनाज़ा निकाला गया
संगीत पर सबसे ज्यादा किताबे औरंगजेब ने लिखी ।
इसके समय सबसे ज्यादा हिन्दू मनसबदार ( 33% ) थे ।
मुगल साम्राज्य का सबसे ज्यादा विस्तार इसके समय ही हुआ ।
मीर जुमला को 1661 मे बंगाल का सूबेदार नियुक्त किया । मीर जुमला के बाद शाइस्ता खान ( मामा ) को बंगाल का गवर्नर बनाया ।
दक्षिण मे 1686 मे बीजापुर और 1687 मे गोलकुंडा को जीत लिया ।
औरंगजेब के काल मे कई विद्रोह हुये ।
1667 मे मथुरा के आसपास के जाटो ने गोकुल के नेत्रत्व मे विद्रोह किया । गोकुल की हत्या कर दी लेकिन विद्रोह को राजराम जाट ने जारी रखा । राजराम जाट ने सिकंदरा पर आक्रमण किया और अकबर के मकबरे को लूटा और अकबर की हड्डियों को जला दिया । राजराम की हत्या कर दी गई । राजराम के भतीजे चुड़ामन ने विद्रोह किया ।
सतनामों ( मुंडियाओ ) का विद्रोह è नारनौल ( हरियाणा ) के आस पास सतनामी समुदाय के लोग रहते थे । ये अपना पूरा शरीर के बाल का मुंडन करवाते थे इसलिए मुंडिया कहलाते थे इस विद्रोह का संचालन वीरभान ने किया ।
मराठों का विद्रोह
शिवाजी ने मराठा राज्य की स्थापना की ।
शिवाजी का जनम 1627 शिवनेर नामक स्थान पर हुआ ।
सबसे पहले शिवाजी को पकड़ने के लिए शाइस्ता खान को भेजा गया । शिवाजी ने अचानक हमला किया तो शाइस्ता खान भाग गया ।
1665 मे मिर्ज़ा राजा जय सिंह को भेजा गया । उसने शिवाजी को चारो तरफ से घेर लिया । इस पर जय सिंह और शिवाजी के मध्य 1665 मे पुरंदर की संधि हुई । इस संधि के तहत शिवाजी ने औरंगजेब की अधीनता स्वीकार कर ली और 23 किले मुग़लो को दे दिये । शिवाजी और उसके बेटे शंभा जी को नजरबंद कर दिया ।
1680 मे शिवाजी की मृत्यु हो गई और शंभा जी शासक बन गया । विद्रोह जारी रहा ।
1689 मे शंभा जी और उनके मित्र कवि कलश को गिरफ्तार कर लिया गया और मार दिया ।
शंभा जी बेटा साहू जी था जो औरंगजेब की कैद मे रहा । (औरंगजेब के जीने तक )
इसके बाद राजाराम और तारा बाई के नेत्रत्व मे भी विद्रोह जारी रहा ।
अकबर का विद्रोह
अकबर औरंगजेब का बेटा था । 1681 मे दुर्गादास से मिलकर अजमेर मे विद्रोह कर दिया । लेकिन असफल रहा ।
1707 मे दक्कन ( औरंगाबाद ) मे औरंगजेब की मौत हो गई ।
खुल्दाबाद ( औरंगाबाद ) मे औरंगजेब का मकबरा है
औरंगजेब ने औरंगाबाद मे बीबी का मकबरा अपनी बेग़म ( रबिया उद दुर्रानी ) की याद मे बनवायायह बिलकुल ताजमहल के जैसा दिखता है । इसे दूसरा ताजमहल भी कहा जाता है । इसे दक्षिण का ताजमहल भी कहा जाता है । इसे ताजमहल की फूहड़ नकल भी माना जाता है ।
औरंगजेब के बेटे मुअज्जम और आज़म थे । मुअज्जम बाद मे बहादुर शाह के नाम से प्रसिद्ध हुआ ।