राजा राम मोहन राय के प्रयासो से 1829 मे सती प्रथा पर रोक लगाई गई और यह काम किया लॉर्ड विलियम बेंटिक ने ।
1833 मे ब्रिस्टल [ इंग्लैंड मे इनकी मृत्यु हो गई । वही पर इनकी समाधि बनी हुई है ।
इनके बाद देवेंद्र नाथ टैगोर [ रवीद्र नाथ टैगोर के पिता ] ने ब्रह्म समाज का उत्तरदायित्व लिया । इन्होने तत्व बोधिनी सभा का गठन किया जिसे बाद मे ब्रह्म समाज मे ही मिला लिया गया ।
बाद मे केशवचंद्र सेन को ब्रह्म समाज का आचार्य बनाया गया ।
1865 मे केशवचंद्रा सेन को ब्रह्म सभा से निकाल दिया गया ।
1872 मे केशवचंद्रा सेन की वजह से सिविल मेरीज एक्ट पारित हुआ जिसके तहत शादी की उम्र 14 और 18 वर्ष हुई ।
केशवचंदर सेन ने 1878 मे साधारण ब्रह्म समज की स्थापना की ।
दयानन्द सरस्वती – इनका जनम गुजरात के मौरवी गाँव मे हुआ था इनका मूल नाम मुलाशंकर था ।
सन्यास ग्रहण करने बाद पुरवानन्द जी गुरु बनाया जिन्होने इनका नाम दयानन्द सरस्वती रखा ।
इनके दूसरे गुरु विराजनंद जी थे जिनसे इन्होने वेदो की शिक्षा ग्रहण की ।
इन्होने “ वेदो की और लौटो “ का नारा दिया ।
1874 मे सत्यार्थ प्रकाश लिखी जो मूल रूप से संस्कृत मे थी ।
1857 मे बोमबे मे आर्य समाज की स्थापना की । 1877 मे लाहौर और 1878 मे दिल्ली मे आर्य समाज की स्थापना की ।
इन्होने शुद्धि आंदोलन भी चलाया जिसके तहत उन सभी को वापिस हिन्दू बनाया गया जिन्होने किसी कारण से धरम परिवर्तन कर लिया था ।
1883 मे जोधपुर के राजा की उप पत्नी नन्ही जान ने जहर देकर मार दिया ।
वेलेंटाइन शिरोल ने आर्य समाज को भारतीय अशांति का जनक कहा है ।
वेलेंटाइन शिरोल ने व्यक्तियों मे बल गंगाधर तिलक को भारतीय अशांति का जनक कहा है ।
स्वामी विवेकानंद --इनका मूल नाम नरेंद्र दत्त था ।
खेतड़ी के महाराजा ने इनको विवेकानंद नाम दिया ।
1893 मे इन्होने शिकागो [ अमेरिका ] की धर्म सभा मे भाषण दिया ।
इनकी वहा की एक शिष्या थी जिनका नाम भागिनी निवेदिता [ वास्तविक नाम - मारग्रेट एलीज़ाबेथ ] था ।
1896 मे अमेरिका मे ही वेदान्त समाज की स्थापना की ।
1897 मे भारत मे रामकृष्ण मिशन की स्थापना की । [ इनके गुरु का नाम रामकृष्ण परमहंस था ]
प्रार्थना समाज --संस्थापक – महादेव गोविंद रानाडे , आर जी भंडारकर , आत्माराम पांडुरंग , चंदावरकर ने मिलकर 1867 मे बॉम्बे मे की ।
महादेव गोविंद रानाडे – इन्हे महाराष्ट्र का सुकरात भी कहा जाता है ।
ये गोपाल कृष्ण गोखले के राजनीतिक गुरु है । [ गोपाल कृष्ण गोखले गांधी जी के राजनीतिक गुरु है ]
1871 मे पुना सार्वजनिक सभा की स्थापना की ।
1884 मे दक्कन एजुकेशन सोसाइटी की स्थापना की जो बाद मे पुना के फर्ग्यूसन कॉलेज के नाम से जाना गया ।
थियोसोफ़िकल सोसायटी --1875 मे न्यूयोर्क मे मेडम ब्लावत्स्की ने इसकी स्थापना की । बाद मे कर्नल अल्काट भी इसमे जुड़े ।
1882 मे भारत मे इसका मुख्यालय मद्रास के पास अड्यार मे खोला गया ।
1893 मे एनी बेसेंट इस सोसाइटी के कार्यकर्ता के रूप मे भारत आई ।
1898 मे एनी बेसेंट ने सेंट्रल हिन्दू कॉलेज की स्थापना की । जो बाद मे मदन मोहन मालवीय के प्रयासो से बनारस हिन्दू विश्वविध्यालय के रूप मे प्रसिद्ध हुआ ।
1907 मे एनी बेसेंट थियोसोफ़िकल सोसाइटी की अध्यक्ष बनी । यह आयरलैंड की थी ।
1916 मे एनी बेसेंट और बाल गंगाधर तिलक ने मिलकर होम रूल लीग की स्थापना की ।
एनी बेसेंट ने एक पुत्र गोद लिया जिसका नाम जे कृष्णमूर्ति था ।
यंग बंगाल आंदोलन 1826 – 1831 – हेनरी विवियन डेरोजियो हिन्दू कॉलेज के अध्यापक थे ।
इनकी विचारधारा के कारण बहूत सारे विद्यार्थी इनके अनुयायी हो गए । पाँच वर्षो के दौरान यह वैचारिक आंदोलन ही यंग बंगाल आंदोलन कहलाया । 1831 मे इनकी मौत हो गई ।
इनके द्वारा स्थापित संस्थाए मे डिबेटिंग क्लब और बांग हित सभा मुख्य है ।
इनके द्वारा ईस्ट इंडिया , इंडिया गज़ट और कलकत्ता साहित्य गज़ट नामक अखबार निकले गए ।
इन्हे भारत का पहला राष्ट्रवादी कवि कहा जाता है ।
अलीगढ़ आंदोलन – यह सर सैयद अहमद खान के द्वारा चलाया गया ।
इन्होने तहजीब उल अखलात अखबार निकाला ।
1864 मे साइंटिफिक सोसायटी की स्थापना की ।
1875 मे मोहम्मडन एंग्लो कॉलेज की स्थापन की जो 1920 मे अलीगढ़ विश्व विध्यालय के नाम से जाना गया ।
1888 मे बनारस के राजा शिवप्रसाद के साथ मिलकर पेट्रीओटिक एसोसिएशन [ राष्ट्र भक्त सभा ] की स्थापना की
देवबंद आंदोलन --यह आंदोलन 1867 से हुआ जिसमे 1857 की क्रांति के सभी बड़े नेता शामिल थे ।
मुख्य नेता रशीद अहमद गंगोही और मोहम्मद कासिम ननोटी थे ।
इसे दार – उल – उलूम भी कहते है ।
वहाबी आंदोलन --इसकी मूल रूप से शुरुआत ईरान से हुई जहा पर अबुल्लाह वहाब ने इसे शुरू किया था ।
भारत मे सैयद अहमद बरेलवी इसके मुख्य नेता थे । इन्होने नारा दिया “ दार उल हर्ब को दार उल इस्लाम मे बदलना “ [ काफिरो के देश को इस्लामिक देश बनाना ]
अहमदिया आंदोलन --मिर्जा गुलाब अहमद ने इसे शुरू किया था ।
1889 मे पंजाब के कादिया गाँव से यह आंदोलन हिन्दू मुस्लिम एकता के लिए शुरू हुआ ।
दक्षिण भारतीय ब्रह्म सभा – वरलू नायडू
राजा मुन्दरी धरम सुधार आंदोलन -वीर शेलिंगम
मानव डीएचआरएम सभा -मंसाराम
परमहंस मंडली –- गोपाल हरी देशमुख ।
गोपाल हरी देशमुख को लोक हित वादी के नाम से भी जाना जाता है ।
सत्य शोधक समाज --ज्योतिबा फुले
इन्होने गुलाम गिरि पुस्तक लिखी ।
शारदा एक्ट – यह विवाह से संबन्धित है ।
महिला शिक्षा प्रयास --1819 मे कलकत्ता ईसाई मिशनरी ने पहली बार तरुण स्त्री सभा का गठन किया और लड़कियो को पढ़ाना आरंभ किया ।
1849 मे J E D बेथन ने कलकत्ता मे पहला गर्ल्स स्कूल खोला ।
ईश्वर चंद विद्यासागर को इसका प्रिंसिपल बनाया गया । बाद मे ईश्वर चंद विध्यसागर ने 35 गर्ल्स स्कूल खोले ।
1906 मे डी के कर्वे ने पहला महिला विश्वविध्यालय बॉम्बे मे स्थापित किया ।
विधवा विवाह --महादेव गोविंद रानाडे ने पहली बार 1867 मे विधवा विवाह संघ की स्थापना की ।
1893 मे डी के कर्वे ने एक विधवा से विवाह किया और 1899 मे पुना मे विधवा आश्रम भी खोला ।
पण्डित रमाबाई ने शारदा सदन की स्थापना की । रमाबाई को पण्डित की उपाधि कलकत्ता विश्व विध्यालय से मिली थी ।