mughal kaal itihaas important facts ( मुग़ल काल इतिहास महत्वपूर्ण तथ्य )
ONLINE EXAM PREPARATIONMarch 05, 20170
मुग़ल प्रशासन
मीर बख्शी – सेन्य विभाग का मुखिया ।
मीर ए सामा या खान ए सामा – शाही महल का ध्यान रखता था ।
सद्र उस सुदूर – धार्मिक अनुदान संबन्धित
मुहतसिब – मुसलमान के आचरण पर निगरानी ( इसकी नियुक्ति औरंगजेब ने की थी )
मनसबदारी
मनसब का शाब्दिक अर्थ होता ह पद
अकबर इसका संस्थापक था । मनसब से किसी व्यक्ति का वेतन पद स्थिति आदि का पता लगाया जा सकता था ।
मनसब जात और सवार मे व्यक्त किया जाता था ।
5000 से अधिक का मनसब केवल राजपरिवार को ही दिया जाता था । ( अपवाद – मानसिंह , मिर्ज़ा , कोका = 7000 मनसब )
मनसब दार को जागीर दी जाती थी । जागीर देने के लिए आरक्षित भूमि को पाइबाकी कहा जाता था
पहले से चली आ रही जागीर की वतन जागीर कहा जाता था ।
मुग़ल कालीन स्थापत्य
बाबर ने तीन जगह मस्जिदे बनवाई । पानीपत , आगरा , संभल ।
बाबर का मकबरा काबुल मे है ।
आगरा का आराम बाग ( नूर ए बाग ) भी बाबर ने ही बनवाया था ।
हुमायूँ ने दिल्ली मे दीनपनाह भवन और फ़तेहपुर मे मस्जिद बनवाई थी ।
अकबर के समय पहला दिल्ली मे मकबरा हुमायूँ का बना जिसका निर्माण हाजी बेग़म ने करवाया था। इसका वास्तुकार मीरक मिर्ज़ा ग्यास फारसी था । यह चार बाग शैली मे बना हुआ है । जो की एक हिन्दू शैली है ।
अकबर ने आगरे मे लाल किले का निर्माण करवाया जिसका वास्तुकार कासिम खान था । इसमे जहाँगीर महल भी है जो हिन्दू शैली मे है । आगरा के किले दो गेट है अमर सिंह दरवाजा और दिल्ली गेट ।
फ़तेहपुर सिकरी का निर्माण गुजरात विजय और सूफी संत सलीम चिश्ती की याद मे किया गया
पहले इसका नाम सीकरी था । इसका वास्तुकार बहाऊद्धिन था ।
इसमे मुख्य इमारते दीवान ए आम , दीवान ए खास , जोधा बाई का महल ( सबसे बड़ा ) , तुर्की सुल्तान की कोठी , बीरबल महल , पंच महल ( 5 मंज़िला , केवल खंभों पर टीका होने के कारण हवा महल के नाम से भी जाना जाता है ) , खास महल ( अकबर का आवास )
यही पर जामा मस्जिद परिसर है जिसमे सलीम चिश्ती का मकबरा , इस्लाम शाह का मकबरा और जामा मस्जिद है । इसी का दरवाजा बुलंद दरवाजा कहलाता है ।
इसके अलावा अकबर ने अजमेर , इलाहाबाद और लाहौर का किला भी बनवाया ।
इलाहाबाद के किले मे अकबर ने कौशांबी के अशोक के शिलालेख को लाकर लगवाया ।
जहाँगीर ने अकबर का मकबरा सिकंदरा मे बनवाया । इस मकबरे मे गुंबद नहीं है ।
मरियम उज्जमानी का मकबरा भी सिकंदरा मे है । एतमाददुला का मकबरा आगरा मे है इसका निर्माण नूरजहां ने करवाया । यह मुग़ल काल की पहली इमारत थी जो पूरी तरह संगमरमर की बनी थी ।
अब्दुल रहीम खानखाना का मकबरा भी जहाँगीर ने बनवाया ।
शाहजहाँ ने ताजमहल बनवाया । जिसका वास्तुकार अहमद लाहौरी था । उस्ताद ईशा खाँ की देख रेख मे इसे बनाया गया । यह चार बाग शैली मे बना है , कुछ इतिहासकारो का मानना है की ताजमहल का नक्शा इटली के वास्तुकार एरोनियों और वेरोनियों ने बनाया है ।
दिल्ली का लाल किला बनवाया । जो 1638 से 1648 मे बना
शाहजहाँ ने दीवान ए आम मे रखे मयूर सिंहासन ( तख्ते ताऊस ) को बनवाया जिसमे कोहिनूर हीरा लगा हुआ था । बाद मे इसी मयूर सिंहासन को नादिर शाह ( ईरान का नेपोलियन ) ले जाता है उस समय मुग़ल बादशाह मुहम्मद शाह रंगीला होता था ।
दीवान ए खास मे अमीर खुसरो की पंक्तीय लिखी हुई है ।
औरंगजेब ने बीबी का मकबरा बनवाया ।
दिल्ली के लाल किले मे मोती मस्जिद का निर्माण करवाया । लाहौर मे बादशाही मस्जिद बनवाई ।
1753 मे बनी सफदरगंज का मकबरा मुग़ल काल की अंतिम इमारत थी
मुग़ल काल मे चित्रकला
बाबर ने अपनी आत्मकथा मे बीजाहाद का उल्लेख किया है । बीजाहाद को पूर्व का राफेल कहते है ।
हुमायूँ अपने साथ दो चित्रकार अब्दु सम्मद और मीर सेय्यद अली को लाया था ।
चित्रकला की शुरुआत हुमायूँ से शुरू हुई ।
अकबर के दरबार का मुख्य चित्रकार दसवंत और बसावन था ।
बसावन का मुख्य चित्र “ कृशकाय घोड़े के साथ भटकता मजनूँ “
जहाँगीर के काल को चित्रकला का स्वर्ण काल कहा जाता है ।
जहाँगीर को चित्रकला की इतनी परख थी की वह चित्र को देखकर बता देता था की चित्र का कोनसा हिस्सा किस चित्रकार के द्वारा बनाया गया है ।
जहाँगीर के चित्रकारों मे उस्ताद मंसूर और अबुल हसन थे ।
उस्ताद मंसूर पशुओ के चित्रण मे माहिर था ।
तूज़ुक ए जहांगीरी का मुख्य पृष्ठ अबुल हसन ने बनाया था ।
चित्रो के साइड मे हांसिया ( बार्डर ) का प्रचलन जहाँगीर का समय हुआ ।
ईरान के शाह के परिवार का चित्र बनाने के लिए जहाँगीर ने मिशनदास को भेजा ।
चित्र जिसमे शेर और बकरी एक साथ पानी पी रहे है शाहजहाँ के काल का है ।
बाबरनामा तुर्की भाषा मे लिखी गई है ।
हुमायूंनामा गुलबदन बेग़म ने लिखी जो हुमायूँ की बहन थी ।
अकबर नामा अबुल फज़ल ने लिखी । इसका तीसरा भाग आईने ए अकबरी कहलाता है ।
“ मुंतखब उत तवारीख “ बदायूनी ने लिखी है । इसे भारत का आम इतिहास भी कहते है ।
“ तबकात ए अकबरी “ निजामुद्दीन अहमद ने लिखी
“ तोहफा ए अकबरशाही “ अब्बास खाँ सरवानी ने लिखी
“ तूज़ुक ए जहांगीरी “ स्वयं जहाँगीर ने लिखी
“ चहार चमन “ चंद्रभान ने लिखी
“ वाक्यात ए आलमगीरी “ आकील खाँ ने लिखी
“ फुतुहात ए आलमगिरी “ ईश्वरदास ने लिखी
“ नुस्खा ए दिलकुशा “ भीमसेन कायस्थ ने लिखी । ये औरंगजेब के बारे मे है ।
“ खुलासत उत तवारीख “ सुर्जन राम भण्डारी ने लिखी
औरंगजेब के कानून की किताब को “ फतवा ए आलमगिरी ” कहा गया ।