modern india hostory marathas ( भारत का आधुनिक इतिहास मराठा पेशवा )
ONLINE EXAM PREPARATIONMarch 06, 20170
मराठा
प्रमुख मराठे:- शिवाजी , शंभाजी ( 1680-89 ) , राजाराम ( 1689-1700 ) , तारा बाई ( 1700-1707 ) , शाहू ( 1707-1749 )
प्रमुख पेशवा è बालाजी विश्वनाथ (1713-1720 ) , बाजीराव 1 ( 1720-1740 ), बालाजी बाजीराव ( 1740-1761 ) , माधवराव ( 1761-1772 ) , नारायण राव ( 1772-1773 ) , माधव नारायण राव ( 1774-1795 ) बाजीराव 2 ( 1795-1818 )
शिवाजी è
इनके पिता का नाम शाह जी भौसले था ।
इनकी माता का नाम जीजाबाई था ।
इनके राजनैतिक गुरु दादाजी कोंडदेव थे । आध्यात्मिक गुरु समर्थ रामदास जी थे ।
शाहजी भौसले पहले अहमद नगर की सेवा मे थे । अहमद नगर का मुग़ल साम्राज्य मे विलय होने के बाद ये बीजापुर चले गए ।
शिवाजी का जन्म 1636 मे शिवनेर के दुर्ग मे हुआ । इनका बचपन का समय कोंडदेव और माता जीजाबाई के संग पुना मे बीता ।
शिवाजी ने सबसे पहले तोरण का किला जीता । बाद मे शिवाजी ने रायगढ़ को अपनी राजधानी बनाया ।
शिवाजी का सामना अफजल खान से हुआ और शिवाजी ने अफजल खान को मार डाला ।
1660 मे शिवाजी का संघर्ष मुगलो से स्टार्ट हो गया ।
1663 मे शाइस्ता खान का शिवाजी से सामना हुआ जिसने शाइस्ता खान की उंगलिया कट गई ।
1664 मे शिवाजी ने पहली बार सूरत को लूटा और पुनः 1670 मे सूरत को दोबारा लूटा ।
1665 मे मिर्जा राजा जयसिंह को दक्कन का सूबेदार नियुक्त किया गया ।
1665 मे ही शिवाजी और मिर्ज़ा राजा जयसिंह के बीच पुरंदर की संधि हुई । पुरंदर की संधि के दौरान 23 किले शिवाजी ने मुगलो को दे दिये तथा 12 किले अपने पास रखे ।
1666 शिवाजी और शमभा जी औरंगजेब के दरबार मे पेश हुये । औरंगजेब ने शम्भा जी 5000 का मनसबदार बनाया और शिवाजी को राजा की उपाधि दी ।
1674 मे शिवाजी ने रायगढ़ मे अपना राज्याभिषेक गंगाभट्ट से करवाया ।
शिवाजी ने खुद को मारवाड़ के सीसोदिया वंश से संबन्धित बताया ।
राज्याभिषेक के 12 दिन बाद जीजाबाई की मृत्यु हो गई ।
शिवाजी ने दोबारा भी अपना राजतिलक करवाया था ।
1680 मे शिवाजी की मौत हो गई ।
शिवाजी का प्रशासन 8 लोग देखते थे जिनको अष्ट्प्रधान कहा जाता था ।
अष्ठ्पृधानों मे पेशवा का पद अत्यंत महत्वपूर्ण होता था ।
शिवाजी के द्वारा दो मुख्य कर वसूले जाते थे । चौथ और सरदेशमुखी
चौथ – मराठो द्वारा यह आश्वासन दिया जाता था की मराठे आप पर आक्रमण नहीं करेंगे । यह राज्य की आय का ¼ हिस्सा होता था ।
सरदेशमुखी – देशमुख मराठों के सामंत थे । शिवाजी अपने आप को वंशानुगत सरदेशमुख मानते थे इसीलिए अपने राज्य से 1/10 यह वसूला जाता था ।
पेशवा बालाजी विश्वनाथ è
साधारण परिवार मे इनका जनम हुआ । अपनी योग्यता से पेशवा बने ।
1707 मे खेड़ा के युद्ध मे शाहु का साथ दिया । इस युद्ध के बाद शाहू शासक बना । शाहू ने हुसैन अली खान से संधि कर ली । शिवाजी द्वारा विजित क्षेत्रो को वापिस लौटा दिया । इस पर शाहू के परिवार को मुगलो की कैद से छोड़ दिया गया ।
मराठों ने 15000 घुड़सवार सैनिको की सहायता मुगल बादशाह को दी । रिचर्ड टेंपल ने इसे मराठा इतिहास का मेग्नाकार्ता कहा है ।
बाजीराव प्रथम è
यह बालाजी विश्वनाथ का बेटा था । इसे लड़ाकू पेशवा भी कहते है । पेशवा बनते समय यह मात्र 20 साल का था ।
इसे मराठा साम्राज्य का दूसरा संस्थापक भी कहा जाता है । इसने हिन्दू पद पादशाही की परंपरा को पुनः लागू किया ।
इसने गुरिल्ला युद्ध पद्धति पर बल दिया । इसने हैदराबाद के निज़ाम को हराया और उनसे भी चौथ कर वसूला ।
इसने गुजरात और मालवा पर भी अधिकार किया ।
बुंदेला शासक छत्रसाल के कहने पर रूहेला शासक को पराजित किया । छत्रसाल ने बाजीराव को बहूत सारी जागीरे दी । हृदय नगर , काल्पी , झाँसी , सागर आदि ।
त्रियाम्बक राव धामा दे की हत्या बाजीराव ने की क्योकि यह पेशवाओ का विरोधी था ।
1737 मे मात्र 500 घुड़सवार लेकर दिल्ली आया और उसके आने की खबर सुनकर मुहम्मद श रंगीला घबरा गया ।
मस्तानी नामक मुसलमान महिला बाजीराव की प्रेमिका थी ।
बाजीराव का कहना था की “ मुगल वृक्ष जर्जर हो चुका है हमे तो केवल इसके ताने पर प्रहार करना है शाखाये तो अपने आप गिर जाएगी । “
बाजीराव ने कहा था की “ मे मराठों की पताका कृष्ण नदी ने अटक तक फहरा दूंगा । “
इस पर शाहू जो ने कहा था की “ अवश्य ही तुम योग्य पिता के योग्य पुत्र हो आप मराठा पताका हिमालय पार चीन तक फहरा सकते हो“
बाजीराव 1 के समय छत्रपती शाहू जी थे जो शिवाजी के पोते थे ।
बालाजी बाजीराव è
बाजीराव प्रथम का बेटा था । 20 साल की उम्र मे पेशवा बना । इसका दूसरा नाम नाना साहब था ।
इसके समय पेशवा का पद वंशानुगत हो गया ।
1750 मे संगोलि की संधि हुई और वास्तविक शक्तिया पेशवा के पास आ गई ।
इनहोने हिन्दू पद पादशाही को त्याग दिया ।
दिल्ली की सुरक्षा का जिम्मा खुद ने ले लिया ।
इसके समय पर ही पानीपत का तीसरा युद्ध हुआ । ( मराठों और अफगानों के बीच )
पानीपत का तीसरा युद्ध 1761 è मराठे बनाम अहमदशाह अब्दाली ( अफगान )
मराठे वास्तव मे मुगल बादशाह की ओर से लड़ रहे थे ।
मराठा सेनापति विश्वास राव था लेकिन वास्तविक नियंत्रण सदाशिव राव भाव के हाथ मे था ।
मराठों के तोपखानो का प्रमुख इब्राहिम खान गार्दी था ।
इसमे मराठे बुरी तरह से पराजित हुये । 28000 मराठे सैनिक मारे गए ।
सिडनी ने कहा “ बहुमुखी देत्य को पूरी तरह मारा तो नहीं जा सका परंतु कुचल दिया गया जब इसको होश आया तो इसके ऊपर अंग्रेज़ बेठे थे
“
माधव राव è
माधव राव ने मराठा वर्चस्व दोबारा स्थापित किया । इसी के समय महाद जी सिंधिया ने इलाहाबाद से मुग़ल शासक को दिल्ली वापिस लाये ।
यह एक योग्य पेशवा था ।
इसके बारे मे इतिहासकार कहते है की “ मराठों को पानीपत के युद्ध मे ईतना नुकसान नहीं हुआ जितना माधव राव की मौत से हुआ है ।
नारायण राव è
इसके चाचा रघुनाथ राघोबा ने इसकी हत्या कर दी । राघोबा बालाजी बाजीराव का भाई था ।
माधव नारायण राव
यह नारायण राव का बेटा था अत्यंत अल्पायु मे ही इसे पेशवा बना दिया गया ।
इसके समय शासन के संचालन के लिए 12 भाई नामक एक परिषद बनाई गई । इसमे महाद जी सिंधिया और नाना फड़नवीस मुख्य थे ।
1775 मे राघोबा ने अंग्रेज़ो के साथ सूरत की संधि कर ली । सूरत की संधि के साथ ही प्रथम आंग्ल मराठा युद्ध स्टार्ट हुआ ।
प्रथम आंग्ल मराठा युद्ध 1775-1782 è
यह युद्ध सूरत की संधि से स्टार्ट हुआ और सालबाई जी संधि पर खतम हुआ । यह संधि महाद जी सिंधिया की मध्यस्थता से हुई ।
1795 मे सिंधिया की मौत हो गई और इसी वर्ष पेशवा ने भी आत्महत्या कर ली ।
इसके बाद राघोबा के बेटे बाजीराव द्वितीय को पेशवा बना दिया गया ।
1800 मे नाना फड़नवीस की भी मौत हो गई । अब केवल प्रमुख व्यक्तियों मे दौलतराव सिंधिया और जसवंत राव होल्कर ही बचे थे । ये दोनों पूना पर अपना अधिकार जमाना चाहते थे ।
दौलत राव व बाजीराव ने जसवत राव के भाई की हत्या कर दी । जसवंत राव होल्कर ने पूना पर आक्रमण कर पूना पर अपना अधिकार कर लिया ।
दौलत राव सिंधिया ग्वालियर से भाग गया ।
बाजीराव द्वितीय ने अंग्रेज़ो से बासीन की संधि कर ली । इसी की वजह से दूसरा आंग्ल मराठा युद्ध हुआ ।
द्वितीय आंग्ल मराठा युद्ध 1803 – 1806
इसमे तीन संधिया हुई
सुरजी अर्जुन गाँव की संधि – सिंधिया के पास
देवगांव की संधि – भौसलें के पास
राजपुर घाट की संधि – होल्कर के पास
तृतीय आंग्ल मराठा युद्ध 1817 – 1818 è
यह युद्ध पिंडारियों के दमन से स्टार्ट हुआ । पिंडारियों को मराठा शिकारी के शिकारी कुत्ते कहा गया है ।
निर्णायक रूप से मराठे हार गए । मराठा संघ को भंग कर दिया गया । बाजीराव 2 को हटा दिया गया । पेशवा पद को समाप्त कर दिया गया । बाजीराव को कानपुर के पास की बिठुर की जागीर दे दी गई । शिवाजी के वंशज प्रताप सिंह नाम के बालक को छत्रपती बना कर सतारा की गद्दी पर बेठाया गया ।