modern india history gandhi era ( आधुनिक भारत का इतिहास - गांधी युग )
ONLINE EXAM PREPARATIONMarch 07, 20170
गांधी
गांधी जी का जन्म 2 अक्तूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर मे हुआ था । इनके पिताजी का नाम करमचंद गांधी था । इनके पिताजी पोरबंदर रियासत मे दीवान थे ।
1894 मे अब्दुल्लाह भाई का केस लड़ने दक्षिण अफ्रीका चले गए । वह गांधी जी ने दो आश्रम स्थापित किए टालस्टाय आश्रम और फीनिक्स आश्रम ।
यहा पर इन्होने इंडियन ओपिनियन नामक अखबार भी निकाला ।
अफ्रीका मे ही गांधी जी ने सबसे पहले सत्याग्रह का प्रयोग किया । अफ्रीका मे गांधी जी को जुल्लू ( अफ्रीका की जनजाति ) और बोअर ( डच किसान ) दो उपाधिया दी गई ।
9 जनवरी 1915 को गांधी जी भारत लौटे । इसीलिए उनके वापिस आने के उपलक्ष मे प्रत्येक 9 जनवरी को प्रवासी भारतीय दिवस मनाया जाता है ।
गांधी जी अहमदाबाद के पास साबरमती के तट पर साबरमती आश्रम की स्थापना की ।
प्रथम विश्व युद्ध मे गांधी जी भारतीय युवाओ को युद्ध मे भाग लेने के लिए प्रेरित किया । इस कारण गांधी जो अंग्रेज़ो का सार्जेंट [ सेना मे भर्ती कराने वाला एजेंट ] कहा जाने लगा ।
गांधी जी का पहला सत्याग्रह -- 1917 मे बिहार के एक किसान राजकुमार शुक्ल के निमंत्रण पर गांधी जी बिहार गए और वहा की तिनकठिया पद्धति के खिलाफ आंदोलन किया । गांधी जी का भारत मे यह पहला सत्याग्रह था । तिनकठिया पद्धति मे सभी किसानो को अपनी कुल जमीन की 3/20 भाग पर नील की खेती करना अनिवार्य था
अहमदाबाद मिल मजदूर आंदोलन 1918 -– एक मिल मे काम करने वाले मजदूरो का प्लेग बोनस घटकर केवल 20% कर दिया गया जबकि मजदूर 35% बोनस मांग रहे थे । मजदूरो का समर्थन करने के लिए गांधी जी भूख हड़ताल कर दी और मिल मालिक उनकी मांग को मान गए । भारत मे गांधी जी की यह पहली भूख हड़ताल थी ।
अंबालाल साराभाई गांधी जी के मित्र थे और उनकी बहन अनुसूया बेन गांधी जी शिष्या थी ।
खेड़ा आंदोलन – भू राजस्व को लेकर यह आंदोलन किया गया । गुजरात किसान सभा ने गांधी जी को अध्यक्ष बनाया ।
सत्याग्रह आंदोलन -- 1919 मे सिडनी रोलेट एक्ट पारित किया गया । रोलेट एक्ट ऐसा एक्ट था जिसके तहत किसी भी भारतीय को केवल संदेह के आधार पर गिरफ्तार किया जा सकता है और कितने भी समय तक जैल मे रखा जा सकता है । इसे काला कानून भी कहा गया । इसे बिना वकील , बिना अपील और बिना दलील का कानून भी कहा गया ।
पूरे देश मे इस कानून के खिलाफ जोरों से विरोध हुआ । गांधी जी इसका विरोध करने के लिए सत्याग्रह सभा गठन किया गया इसलिए इसको सत्याग्रह आंदोलन कहा गया । जब गांधी जी पलवल [ हरियाना ] से दिल्ली आ रहे थे तो उनको गिरफ्तार कर लिया गया और दिल्ली की बजाय बॉम्बे ले जाकर छोड़ दिया ।
10 अप्रैल 1919 को पंजाब के अमृतसर मे जब सैफुद्दीन किचलु और डॉ सतपाल जब इसका विरोध कर रहे थे तो पुलिस ने इनको भी गिरफ्तार कर लिया और वहा मौजूद भीड़ पर लठिया बरसाई । भीड़ द्वारा पाँच अंग्रेज़ो की हत्या कर दी गई । अमृतसर मे मार्शल ला लागू कर दिया ।
इस समय पंजाब का उप गवर्नर O डायर था जबकि सैनिक अधिकारी जनरल R डायर था
13 अप्रैल 1919 को बैशाखी के दिन जब अमृतसर के जलियावाला बाग मे जब डॉ सतपाल और सैफुद्दीन किचलु की गिरफ्तारी के विरोध मे शांत सभा चल रही थी तो तब अंग्रेज़ अधिकारी जनरल डायर ने बाग को चारो तरफ से घेर लिया और वहा मौजूद भीड़ पर अंधाधुंध गोलीय चलवाई । गोलियो से बचने के लिए लोग इधर उधर भागने लगे । कुछ लोग कुए मे कूदने लगे । धीरे धीरे बहोत सारे लोग कुए मे कूद गए और पूरा कुआं लाशों से भर गया ।
फायरिंग के दौरान हंसराज नाम का एक भारतीय भी डायर के साथ था जिसने अंग्रेज़ो का साथ दिया था ।
भारतीय रिपोर्ट के अनुसार 1000 से ज्यादा लोग मारे गए लेकिन अंग्रेज़ो को रिपोर्ट के अनुसार केवल 379 ही मारे गए ।
इस घटना की जांच के लिए हंटर कमेटी बनाई गई जिसमे 8 सदस्य मे से तीन भारतीय थे । [ चिमनलाल शीतलवाड़ , सुल्तान अहमद और जगत नारायण ]
इस कमेटी ने डायर को निर्दोष बताया । कांग्रेस ने इसकी जांच के लिए मदनमोहन मालवीय की अध्यक्षता मे एक कमेटी बनाई । गांधी , मोती लाल नेहरू और सी आर दास इसके सदस्य थे ।
गांधी जी ने हंटर कमेटी की रिपोर्ट को पन्ने दर पन्ने लिपा पोती कहा ।
डायर जब वापस इंग्लैंड गया तो उसे sword of honour सम्मान किया गया और उसे ब्रिटिश शेर की उपाधि दाई गई साथ ही इनाम मे 30000 पाउंड भी दिये गए ।
गुरुद्वारा कमेटी ने भी डायर को सम्मानित किया
R डायर की मौत 1927 मे हो गई और 1941 मे O डायर की हत्या उधम सिंह के कर दी ।
खिलाफत आंदोलन 1919 - 1922 -- अली बंधुओ [ मोहम्मद अली, शौकत अली ] के नेत्रत्व मे यह आंदोलन प्रारम्भ किया गया ।
मुहम्मद अली जिन्ना खिलाफत आंदोलन के विरुद्ध थे ।
1924 कमाल पाशा ने तुर्की के खलीफा को उसके पद से हटा दिया जिससे मुसलिम नाराज हो गए और उन्होने भी आंदोलन छेड़ दिया और आंदोलन असहयोग आंदोलन मे मिल गया । ये आखिरी मोका था जब हिन्दू और मुस्लिम किसी एक आंदोलन मे एक साथ थे ।
असहयोग आंदोलन -- 1920 के कांग्रेस के कलकत्ता के विशेस अधिवेशन मे असहयोग का प्रस्ताव पेश किया गया । दिसंबर 1920 के कांग्रेस के नियमित अधिवेशन मे भी सी आर दास ने असहयोग आंदोलन का प्रस्ताव रखा और पास भी कर दिया गया । बहूत सारे बड़े नेता इसके खिलाफ थे इस कारण कई नेताओ ने हमेशा के लिए कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया । जैसे सुरेन्द्र नाथ बनर्जी , एनी बेसेंट और जिन्ना आदि ।
गांधी जी ने असहयोग आंदोलन के दौरान जुल्लू और बोअर पदक त्याग दिये । जमनालाल बजाज ने राय बहादुर की उपाधि त्याग दी । सरकारी स्कूलो को भी त्याग दिया गया । लगभग सभी विदेशी वस्तुओ को त्याग दिया गया ।
इस आंदोलन के दौरान शराब की दुकानों के बाहर प्रदर्शन करना इस आंदोलन की हिस्सा नहीं माना गया लेकिन यह बहूत ज्यादा लोकप्रिय हुआ ।
इस आंदोलन मे सबसे पहले गिरफ्तारी सी आर दास और उनकी पत्नी बसंती देवी की हुई ।
5 फरवरी 1922 को चोरा चोरी नामक जगह पर एक गुस्साई भीड़ ने एक पुलिस स्टेशन को आग लगा दी । इस आंदोलन के दौरान गांधी जी कहा था की सब कुछ शांति पूर्ण चलता रहा तो एक साल के भीतर स्वराज मिल जाएगा । हिंसा के बाद गांधी जी कहा की अभी हम स्वर्ज के लिए तैयार नहीं है ये कहकर गांधी जी असहयोग आंदोलन को वापिस ले लिया ।
गांधी जी को गिरफ्तार करके 124 a के तहत मुकदमा चलाया गया और 6 साल की सजा सुनाई गई ।
स्वराज पार्टी – जनवरी 1923 को चितरंजन दास ने इलाहाबाद मे स्वराज पार्टी की स्थापना की मोती लाल नेहरू और सी आर दास ने की । इसके पहले मोती लाल नेहरू को ही बनाया गया । 1925 मे सी आर दास की मौत हो गई और पार्टी मे भी समाप्त हो गई ।
1924 को स्वास्थ्य संबंधी कारणो से गांधी जी को रिहा कर दिया गया ।
1927 मे साइमन कमीशन का गठन किया गया और 1928 को यह कमीशन भारत आया लेकिन भारत मे इसका ज़ोर शोर से विरोध हुआ इसमे 7 सदस्य थे जिसमे से एक भी भारतीय नहीं था । सभी अंग्रेज़ सदस्य होने के कारण इसको व्हाइट मेन कमीशन भी कहा गया ।
साइमन कमीशन का विरोध करते समय पुलिस ने लाला लाजपत राय के ऊपर लठिया बरसाई जिसमे उनकी मौत हो गई ।
नेहरू कमेटी – मोतीलाल नेहरू की अध्यक्षता मे इस कमेटी का गठन किया गया । इस कमेटी ने अपनी कई मांगे रखी जिसमे से कुछ निम्नलिखित है :-
भारत को डोमिनियन स्टेट का दर्जा दिया जाए ।
प्रथक निर्वाचन पद्धति को समाप्त किया जाए ।
मुसलमनों के लिए साधारण आरक्षण दिया जाए ।
सार्वभौमिक मताधिकार और मूल अधिकार दिये जाए ।
जिन्ना इन मांगो से संतुष्ट नहीं था अतः उसने अपना 14 सूत्री कार्यक्रम पेश किया ।
लाहौर अधिवेशन – 1929 इस के अध्यक्ष नेहरू जी थे । 31 दिसंबर 1929 को पूर्णा स्वराज के प्रस्ताव को पारित किया गया । 26 जनवरी 1930 को स्वतंत्रता दिवस मनाना तय किया गया ।
सवियनय अवज्ञा आंदोलन – फरवरी 1930 को गांधीजी ने लॉर्ड इरविन के समक्ष 11 सूत्रीय माँगपत्र पेश किया
12 मार्च 1930 को गांधी जी ने अपने 78 अनुयायियों के साथ साबरमती आश्रम से दांडी की यात्रा प्रारम्भ की। 5 अप्रैल को बे दांडी पहुंचे और 6 अप्रैल को नमक बनाकर नमक कानून को तोड़ा और सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरुआत की ।
धरासना मे विरोध प्रदर्शन करते हुये सरोजनी नायडू और इमाम साहब पर लठिया बरसाई गई जिसका उल्लेख अमेरिकी पत्रकार मिलर ने किया ।
5 मार्च 1931 को गांधी इरविन समझौते के साथ ये आंदोलन समाप्त हो गया ।
गांधी इरविन सम्झौता -- कांग्रेस सविनया अवज्ञा आन्दोलन समाप्त कर देगी । बंदी बनाए गए आंदोलनकारियों को रिहा कर दिया जाएगा । नमक बनाने की आज़ादी दी जाएगी । गांधी इरविन समझौते को दिल्ली समझौता भी कहते है ।
गोलमेज़ सम्मेलन – पहला गोलमेज़ सम्मेलन 1930 , दूसरा 1931 और तीसरा 1932 मे हुआ । कांग्रेस ने केवल दूसरे सम्मेलन मे ही भाग लिया गांधी जी ने कांग्रेस का प्रतिनिधित्व किया । गांधी जी राजपूताना नामक जहाज से लंदन गए थे और अपने साथ बकरी भी ले गए थे । सरोजनी नायडू और मदन मोहन मालवीय भी दूसरे गोलमेज़ सम्मेलन मे गए लेकिन गवर्नर जनरल के प्रतिनिधि बनकर ।
कम्यूनल अवार्ड [ सांप्रदायिक पंचाट ] – अगस्त 1932 को इसकी घोषणा की । इसकी मांग भीम राव अंबेडकर ने की । ब्रिटिश प्रधानमंत्री रेमजे मेलडोनाल्ड ने कम्यूनल अवार्ड की घोषणा की जिसके तहत दलितो को भी पृथक निर्वाचन पद्धति मे शामिल किया गया । गांधी जी उस समय यरवदा जैल मे थे । गांधी जी ने इसके विरुद्ध आमरण अनशन की घोषणा कर दी । 26 सितंबर 1932 को भीम राव अंबेडकर और गांधी जी के बीच पूना समझौता हुआ । जिसे पूना पेक्ट कहा गया ।
दूसरा सविनय अवज्ञा आंदोलन 1932 – 1934 – आंदोलन के प्रारम्भ मे ही गांधी जी को जैल मे पटक दिया गया इस कारण यह आंदोलन सफल नहीं हुआ ।
भारत संविधान अधिनियम 1935 --- केंद्र मे द्वेध शासन लागू किया गया ।
अखिल भारतीय संघ का प्रावधान किया गया ।
प्रांतो को स्वायतता दी गई ।
बर्मा को भारत से अलग कर दिया गया ।
1937 के चुनाव -- चुनावों मे 5 प्रांतो मे कांग्रेस को स्पष्ट बहुमत मिला और 8 प्रांतो मे कांग्रेस ने सरकार बनाई ।
मुस्लिम लीग को एक भी प्रांत मे स्पष्ट बहुमत नहीं मिला । चुनावों के बाद कांग्रेस शासित प्रेदेशों मे मुसलमानो की दुर्दशा जानने के लिए लीग ने पिरपुर समिति का गठन किया ।
1939 दूसरा विश्व युद्ध -- इस युद्ध मिस्टर भारत को जबर्दस्ती शामिल किया गया इस विरोध मे कई कांग्रेसियों ने इस्तीफा दे दिया । इस खुशी मे 22 दिसंबर 1939 को मुस्लिम लीग ने मुक्ति दिवस के रूप मे मनाया ।
अगस्त प्रस्ताव -- 8 अगस्त 1940 को लॉर्ड लिनलिथ गो के द्वारा अगस्त प्रस्ताव पेश किया गया । इस प्रस्ताव मे विश्वास दिलाया गया की युद्ध के बाद भारत के संविधान पर विचार किया जाएगा । परंतु कांग्रेस ने इस प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया ।
व्यक्तिगत सत्याग्रह -- अक्तूबर 1940 को पवनर मे विनोभा भावे ने शुरू किया । विनोभा भावे गांधीजी के पहले सत्यागराही थे । दूसरे सत्यग्राही नेहरू जी थे ।