तुगलक वंश 1320 – 1412
गयासुद्दीन तुगलक –
- इसका मूल नाम गाजी मलिक था । मंगोलो से संघर्ष के कारण ये बहूत चर्चित रहा क्यूकी इसने मंगोलो को कई बार पराजित किया ।
- यह पहला शासक था जिसने नहर का निर्माण करवाया ।
- इसकी भू राजस्व की नीति रस्म ए मियानी कहलाती थी । यानि की दर निर्धारण मे उदारता और वसूलने मे कठोरता ।
- 1325 मे गियासुद्दीन तुगलक और निज़ामुद्दीन औलिया दोनों की मृत्यु हो गई ।
- अमीर खुसरो निज़ामुद्दीन औलिया का शिष्य था । मुहम्मद बिन तुगलक 1325 – 1351
- पहले इसका नाम जौना खान था । सल्तनत काल के सुल्तानों मे सबसे ज्यादा विद्वान और पढ़ा लिखा शासक मुहम्मद बिन तुगलक था ।
- लेकिन अपनी सनक भरी योजनाओ के कारण इसको पागल सुल्तान , रक्त पिपासु , सनकी , विरोधाभास का पिटारा , खून का प्यासा आदि कहा गया ।
- इसने राजधानी दिल्ली से देवगिरी स्थानांतरित की । देवगिरि का नाम दौलताबाद रखा ।
- प्रतीकात्मत टोकन मुद्रा चलाई । ( इसके पहले भी दो शासको ने कूबैल खान और गेताखू ने भी सांकेतिक मुद्रा चलाई थी ।
- गंगा यमुना के दोआब मे कर वृद्धि करके 50% कर दिया ।
- किसानो को तकाबी नामक अग्रिम ऋण दिये ।
- दीवान ए अमीरकोही नामक कृषि विभाग की स्थापना की ।
- मध्य एशिया अभियान मे इसने 3 लाख 70 हज़ार सैनिको को अग्रिम वेतन दे दिया बाद मे यह सेना भंग भी कर दी गई ।
- कराचिल अभियान मे इसने केवल सेना को भेजा । सेना ने कराचिल को जीत भी लिया लेकिन जब सेना ने आगे कूच किया तो प्रकृतिक आपदाओ का सामना करते हुये सभी सेनिक मारे गए केवल तीन सेनिक वापिस आए जिनको मुहम्मद बिन तुगलक ने मृत्यु दंड दे दिया ।
- इसके समय तरमाशरीन के नेत्रत्व मे मंगोलो ने आक्रमण किया लेकिन तुगलक ने उन्हे घूस देकर वापिस भेज दिया ।
- इसके समय मोरक्को का यात्री इब्न बतूता भारत आया जिसे तुगलक ने दिल्ली का काजी नियुक्त किया ।
- कालांतर मे इब्न बतूता को राजदूत बनाकर चीन भेजा गया ।
- बतूता ने अपना वृत्तान्त रेहला नाम से लिखा । यह अरबी भाषा मे लिखी हुई है । [ मुसलमानो की धार्मिक भाषा अरबी थी लेकिन उनकी मातृ भाषा तुर्की थी । प्रशासनिक भाषा फारसी थी । उर्दू का विकास भारत मे ही हुआ है । उर्दू का वाक्य विन्यास हिन्दी का ही है । उर्दू मे शब्द अरबी और फारसी के है । ]
- मुहम्मद बिन तुगलक को होली बहूत पसंद थी ।
- इसने खलीफा से दो बार सुल्तान पद की मान्यता प्राप्त की ।
- सल्तनत का सबसे ज्यादा विस्तार इसके समय ही हुआ ।
- सबसे ज्यादा विद्रोह भी इसके समय ही हुये ।
- इसके समय मे 1336 मे विजयनगर , 1341 मे बंगाल और 1347 मे बहमनी राज्य स्वतंत्र हो गए ।
- 1351 मे सिंध मे थट्टा के निकट इसकी मृत्यु हो गई ।
- इसकी मौत पर बदायूनि कहता है “ अंततः उसे लोगो से और लोगो को उससे मुक्ति मिली यानि की राजा को प्रजा से ओर प्रजा को राजा से मुक्ति मिली ।
- इसके चचेरे भाई फिरोज तुगलक को गद्दी पर बेठाया गया । फिरोज तुगलक 1351 – 1358
- इसको धर्म विरोधी शासक कहा जाता है । क्यूकी इसने कई मंदिरो को तोड़ा , लोगो से जबर्दस्ती धर्म परिवर्तन करवाया ।
- इसने ब्राह्मणो पर भी जज़िया कर लगाया । ये एकमात्र सुल्तान था जिसने ब्राह्मणो पर भी जज़िया कर लगाया ।
- इसने सभी कष्ठदायक करों को समाप्त करके केवल चार मुख्य कर लगाए । जो की निम्न हैं खराज – भू राजस्व जकात – धार्मिक कर ( 40 वां हिस्सा आय का मुसलमानो के लिए ) जज़िया – गैर धार्मिक कर ( हिन्दुओ से ) खुम्स – लूट से प्राप्त धन पर कर
- इसने एक सिंचाई कर हक़ ए शर्ब भी लगाया ।
- फिरोज़ तुगलक ने सबसे ज्यादा नहरों की निर्माण करवाया ।
- इसने अनेक नगर बसाए जिनमे हिसार , जौनपुर , फ़िरोज़ाबाद , फिरोज़शाह कोटला ( पाँचवी दिल्ली ) प्रमुख है ।
- मेरठ और तोपरा के दो अशोक स्तम्भ दिल्ली मे स्थापित किए ।
- यह ज्वालादेवी के मंदिर से संस्कृत साहित्य को लाया और उसका अरबी मे अनुवाद अजीजुद्दीन से करवाया
- इसके समय एक भी विद्रोह नहीं हुआ ।
- इसको ग़ुलाम रखने का बहूत शौक था । इसने सारे पद वंशानुगत कर दिये ।
- भ्रष्टाचार इसके समय पर चरम पर था ।
- इसने गुलामो के लिए दीवान ए बंदगान विभाग की स्थापना की । इसके अलावा दीवान ए खैरात , दीवान ए इस्तिहाक , दार उल शिफा आदि विभागो की भी स्थापना की ।
- खान ए जहां तेलंगानी को शादियाँ करने का बहूत शौक था । उसने 1000 से भी ज्यादा शादिया की । उसकी सैलरी 13 लाख टंका थी ।
- खान ए जहां तेलंगानी का मकबरा अष्टकोणीय था जो की इस प्रकार का पहला मकबरा था । गियासुद्दीन 2 1388 – 1394
- इसने कबरुद्दीन औलिया का मकबरा ( लाल गुंबद ) बनवाया । नासीरुद्दीन मुहम्मद तुगलक 1394 – 1412
- तुगलक वंश का अंतिम शासक ।
- इसके समय 1398 मे तैमूर लंग ने आक्रमण किया ।
- 1412 से 1414 तक दौलत खान लौदी शासक बना जो की एक अफगान था । सैयद वंश
- संस्थापक – खिज्र खान
- सैयद अपने आप को मोहम्मद साहब के परिवार से संबन्धित करते थे ।
- खिज्र खान ने सुल्तान की उपाधि धारण नहीं थी ।
- यह खुद को शाहरुख का प्रतिनिधि मानता था ( शाहरुख तैमूर का बेटा था ) ।
- यह शाहरुख को नियमित कर भेजा करता था ।
- खिज्र खान ने हज़रत ए आला की उपाधि धारण की थी । मुबारक शाह
- इसके दरबार मे याहिया बिन सरहिंदी था जिसने तारीख ए मुबारकशाही लिखी । लोदी वंश 1450 – 1526 बहलोल लोदी
- संस्थापक – बहलोल लोदी । यह अफगान था । इसके पूर्वज घोड़ो के व्यापारी थे ।
- यह खुद सिंहासन पर नहीं बेठता था । अपने अमीरों को मनसद ए आली कहकर बुलाता था ।
- इसने सोने के बहलोली सिक्के चलाये । सिकंदर लोदी 1489 – 1517
- इसकी मटा हिन्दू थी । इसलिए इसने भी कठोर धार्मिक नीति अपनाई ।
- इसने कई मंदिरो को तोड़ा और लोगो से जबर्दस्ती धर्म परिवर्तन भी कराया ।
- इसने ज्वाला देवी के मंदिर को तोड़कर कर मूर्ति के टुकड़े करके उसे कसाइयो मे मांस तौलने के लिए दे दिये ।
- इसने जौनपुर को जीत कर दिल्ली मे मिले लिया ।
- 1504 मे आगरा शहर की स्थापन की और आगरा को ही अपनी राजधानी बनया ।
- आगरा के पास ही सिकंदरा नामक नगर बसाया ( यहा पर अकबर मकबरा है )
- सिकंदर लोदी “ गुल रूखी “ के नाम से कविताए लिखता था ।
- इसने लज़्ज़त ए सिकंदर शाही पुस्तक लिखी ।
- “ मेरे अमीर इतने आज्ञाकारी है की मे कह दू तो वे एक दास को भी पालकी मे उठा सकते है। “ ये शब्द सिकंदर लोदी के द्वारा कहे गए है । इब्राहिम लोदी 1517 – 1526
- इसके दो अमीर थे ।
- आलम खान लोदी - इसका विरोधी था क्योकि खुद सुल्तान बनना चाहता था , यह इब्राहिम लोदी चाचा था
- दौलत खान लोदी – पंजाब का गवर्नर था । यह पूरे पंजाब को केवल अपने अधीन करना चाहता था ।
- लोदी को हटाने के लिए इन दोनों ने आक्रमण के लिए बाबर को निमंत्रण दे दिया ।
- 1526 मे इब्राहिम लोदी और बाबर के बीच पानीपत का पहला युद्ध हुआ जिसमे बाबर विजयी हुआ और इब्राहिम लोदी मारा गया । युद्ध मे मारा जाने वाला ये पहला सुल्तान था । और यही से भारत मे मुग़ल सत्ता की शुरुआत हो गई ।
- “ मेरे अमीर यदि कही से गुजरे और उन्हे मेरा टैंट भी दिखाई दे जाये तो भी वो सलाम करके निकलते है।
- कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:-
- सुल्तान खलीफा का प्रतिनिधि होता था लेकिन स्वतंत्र होता था ।
- सुल्तान का प्रमुख सहायक वजीर होता था जिसे प्रधान मंत्री कहा जाता था ।
- दीवान ए अर्ज़ सेनिक विभाग था जिसकी स्थापना बलबन ने की थी ।
- “ दीवान ए ईशा “ पत्राचार से संबन्धित है । “ दीवान ए रसालत “ विदेशी मामलो से संबन्धित था और “ काजी उल कजात “ मुख्य न्यायाधीश होता था ।
- न्याय प्रशासन मे सिविल मामलो का मुखिया काजी उल कजात और फ़ौजदारी मामलो मे प्रमुख सुल्तान होता था ।
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कानून के मुख्य स्त्रोत मे निम्न प्रमुख थी
- कुरान – मुसलमानो का धार्मिक पवित्र ग्रंथ
- हदीस – मोहम्मद साहब से जुड़ी घटनाए और उनके उपदेश
- इजमा – मुस्लिम विद्वानो द्वारा लिखी गयी पुस्तके ।
- कमास – अनुमान के आधार पर
- आय का मुख्य स्त्रोत भू राजस्व था ।
- बंटाई प्रथा को किस्मत ए गल्ला या गल्ला पक्षी कहा जाता था ।
- अलाउद्दीन खिलजी के द्वारा जो भू राजस्व प्रणाली अपनाई गई वो मसाहट कहलाती थी ।
- मुस्लिम किसानो से लिया जाने वाला भू राजस्व उस्र कहलाता था ।
- लूट से प्राप्त धन को खुम्स कहा जाता था । यह 80% सैनिको और 20% राज खजाने मे जाता था लेकिन मुहम्मद बिन तुगलक ने इसे 20% सैनिक मे और 80% राज्य खजाने मे कर दिया ।
- चरखे का सर्वप्रथम उल्लेख आबु बक्र इसामी की पुस्तक फ़ुतूह उस सलातीन मे मिलता है ।
- इसामी बहमनी साम्राज्य का इतिहासकार है ।
- निर्माण कार्यो मे कुतुबुद्दीन ऐबक ने दिल्ली मे कुतुब मीनार , अजमेर मे अढ़ाई दिन का झोपड़ा , दिल्ली मे कुव्वत उल इस्लाम मस्जिद आदि बनवाई
- इल्तुतमीश ने कुतुबमीनार का निर्माण कार्य पूरा किया । सुल्तान गढ़ी मे नासीरुद्दीन का मकबरा बनवाया
- इल्तुतमीश ने खुद का मकबरा , बदायूं मे इमारते और नागौर का ताराकिन का दरवाजा बनवाया ।
- बलबन ने स्वयं का मकबरा ओर लाल महल बनवाया ।
- अलाउद्दीन खिलजी ने दिल्ली के पास नवनगर ( नौनगर ) बसाया । सिरी का किला , अलाई दरवाजा , हज़ार स्तम्भ महल ( इसको हज़ार खंभा महल भी कहते है ) और जमात खाना मस्जिद बनवाई । जमात खाना मस्जिद पूरी तरह मुस्लिम शैली मे बनी मस्जिद है ।
- अलाई दरवाजा कुतुबमीनार के चरो और दीवार बनवा कर एक दरवाजा बनाया गया जिसमे अंदर लौह स्तम्भ है ।
- फिरोज तुगलक ने फिरोज़शाह कोटला बनवाया यही पर अशोक के दो स्तम्भ भी लगवाए ।
- इसने स्वयं का मकबरा और खान ए जहां तेलंगानी का मकबरा भी बनवाया जो की अष्टकोणीय ,अकबरा है इस तरह का यह पहला मकबरा था ।
- सल्तनत कालीन पुस्तके
- चचनामा – यह अरबी भाषा की पुस्तक है जिसके लेखक का पता नहीं है इसमे सिंध का इतिहास है । अरबों के आक्रमण की जानकारी भी इससे मिलती है ।
- किताब उल यमिनी – यह उतबी ने लिखी है ।
- तारीख ए सुबुक्त्गीन – इसके लेखक बैहाकी है ।
- तहक़ीक़ ए हिन्द , किताब उल हिन्द – अल बरूनी
- ताज उल मासिर – हसन निजमी
- तबकात ए नासिरी – मिनहास उस सिराज
- तारीख ए फिरोजशाही , फतवा ए जहांदारी – जियाउद्दीन बरनी
- तारीख ए फिरोजशाही – शम्स ए शीरज
- फ़ुतूहात ए फिरोजशाही – फिरोज़शाह तुगलक ( आत्मकथा )
- अमीर खुसरो काजनम – पटियाली ( उत्तर प्रदेश )
- इसे तुतिए हिंद ( भारत का तोता ) भी कहा जाता है
- यह निज़ामुद्दीन औलिया का शिष्य था ।
- हिन्दी कहावतों , मुहावरों , पहेलियों का सबसे पहले प्रयोग अमीर खुसरो ने किया था ।
- मिफता उल फ़ुतूक ( जलालूद्दीन खिलजी से संबन्धित है )
- खजाइन उल फ़ुतूह ( अलाउद्दीन खिलजी के रणथंभोर और चित्तौड़ आक्रमण से संबन्धित है )
- किरान उस सादेन ( इसमे बुगरा खान और केगुबाद के बीच का संघर्ष है )
- नुहसिपहर ( इसमे भारत का वर्णन है )
- आशिका ( खिज्र खान और देवल रानी की प्रेम कहानी )
- तुगलकनामा ( गियासुद्दीन तुगलक का इतिहास )
- कबीरुद्दीन औलिया का मकबरा जिसे लाल गुंबद भी कहते है गियासुद्दीन 2 और नासीरुद्दीन महमूद तुगलक ने बनवाया था ।
- सैयद काल ओर लोदी काल को मकबरो का काल कहते है ।
- मोंठ की मस्जिद लोदी काल की सबसे सुंदर इमारत है जिसे सिकंदर के सेनानायक मियां मुआ ने बनवाया था ।
- सिकंदर लोदी के मकबरे का निर्माण 1517 मे इब्राहिम लोदी ने करवाय था पहली बार दोहरे गुंबद का निर्माण किया गया ।
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