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saltanat kaal itihaas ghulam vansh (dynesty) in hindi ( सल्तनत काल इतिहास )

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ग़ुलाम वंश 1206 – 1290 

कुतुबुद्दीन ऐबक 1206 – 1210

  • ऐबक ग़ुलाम वंश का पहला शासक था । ये गौरी का गुलाम था । ऐबक का शाब्दिक अर्थ होता है “ चन्द्र का स्वामी यानि की शिव “
  • ऐबक राजा तो बना लेकिन सुल्तान की उपाधि धारण नहीं की । इसने केवल ” मालिक और सिपहसलार “ की उपाधि धारण की ।
  • इसके समय राजधानी दिल्ली के बजाय लाहौर थी ।
  • 1208 मे गौरी के भतीजे गुयासुद्दीन ने ऐबक को दासता से मुक्त कर दिया ।
  • ऐबक को “ लाख बख्श ( लाखो का दान देने वाला ) और हातिम ताई 2 “ भी कहा जाता था ।
  • ऐबक ने दिल्ली मे कुव्वत उल इस्लाम मस्जिद बनवाई जो भारत की पहली मस्जिद थी । यहा पर पंजाब शाह पीर का अढ़ाई दिन का उर्स लगता है ।
  • ऐबक ने अजमेर मे अढ़ाई दिन के झोपड़े का निर्माण करवाया जो नही एक मस्जिद ही है । जिस जगह को अढ़ाई दिन का झोपड़ा कहा जाता है दरअसल वो एक संस्कृत की पाठशाला थी जिसे विग्रहराज 4 ने बनवाया था । इसकी दीवारों पर आज भी विग्रह राज 4 के द्वारा लिखे संस्कृत नाटक “ हरिकेली “ की रचनाए वहा की दीवारों पर आज भी खुदी हुई है । इसी संस्कृत विद्यालय को तुड़वाकर कर ऐबक ने मस्जिद का नाम दे दिया । यह राजस्थान की पहली मस्जिद है ।
  • ऐबक ने दिल्ली के महरौली मे स्थित कुतुबमीनार का निर्माण प्रसिद्ध सूफी संत “ बख्तियार कुतुबुद्दीन काकी “ की याद मे करवाया । ये दिल्ली के पहले सूफी संत थे ।
  • कुतुबुद्दीन ने कुतुबमीनार का निर्माण केवल प्रारम्भ करवाया लेकिन इसे पूरा इल्तुतमीश ने करवाया । ( कहा जाता है की बाद मे फिरोज तुगलक ने भी इसमे निर्माण करवाया था । )
  • ऐबक के दरबार मे हसन निजामी ( ताज उल मासिर के लेखक ) थे ।
  • 1210 मे चौगान ( पोलो ) खेलते हुये ऐबक की मृत्यु हो गई ।
  • ऐबक के बाद उसका बेटा आरामशाह शासक बना लेकिन इल्तुतमीश ने हटा दिया और खुद राज्य संभाला । इल्तुतमीश 1210 – 1236
  • इसको दिल्ली की सल्तनत का वास्तविक संस्थापक माना जाता है ।
  • इसने राजधानी लाहौर से दिल्ली स्थानांतरित की ।
  • यह पहला शासक था जिसने 1529 मे बगदाद के खलीफा से सुल्तान की उपाधि धारण की ।
  • यह ऐबक का गुलाम और दामाद था । 1205 मे ऐबक ने इसे गुलामी से मुक्त कर दिया था ।
  • दिल्ली का शासक बनने से पहले यह बदायूं का गवर्नर था ।
  • इसने भारत मे अरबी प्रणाली के सिक्के चलाये । { चाँदी का सिक्का – टंका , तांबे का सिक्का – जीतल }
  • इसने सुरक्षा के 40 गुलामो का एक समूह बनाया जिसे “ दल चालीसा “ या “ तुरकान ए छिहलगान “ कहा गया ।
  • इल्तुतमीश ने इक्ता प्रणाली लागू की । अधिकारियों को वेतन के बदले भू राजस्व इक्ता कहलाता था ।
  • 1216 मे इल्तुतमीश ने यल्दोज को तराइन के तीसरे युद्ध मे हराया ।
  • 1221 मे चंगेज़ खान ख्वारिज़्म के शहजादा जलालुद्दीन मंगबरनी का पीछा करते हुये भारत आया । मंगबरनी ने इल्तुतमीश से शरण मांगी लेकिन इल्तुतमीश ने शरण नहीं दी । क्योकि वह जानता था की अगर उसने मंगबरनी को शरण दी तो चंगेज़ खान उस पर हमला करेगा और इल्तुतमीश किसी भी प्रकार के हमले के लिए तेयार नहीं था । इस प्रकार उसने दिल्ली को चंगेज़ खान के आक्रमण से बचा लिया ।
  • इसने कुतुबमीनार का निर्माण कार्य पूरा करवाया ।
  • अपने बेटे नासीरुद्दीन का मकबरा बनवाया जिसे सुल्तानगढ़ी कहते है । यह भारत का पहला मकबरा है ।
  • इसने नागौर मे तारीकिन की दरवाजा ( सूफी संत हमीदुद्दीन नागौरी की याद मे ) बनवाया ।
  • इसके दरबार मे मीनहस उस सिराज था जिसने “ तबकात ए नासिरी “ लिखी ।
  • 1236 मे इल्तुतमीश की मौत के बाद इसका बेटा रुनकुद्दीन फिरोज गद्दी पर बेठा । लेकिन यह कुछ महिने ही रह पाया क्यूकी इसके समय इसकी माँ शाह तुरकान ( जो पहले इल्तुतमीश की दासी थी ) राजकाज मे हस्तक्षेप करती थी । इसलिए सामंतों ने रुनुकूद्दीन को हटा कर रज़िया को गद्दी पर बैठा दिया
  • इस प्रकार रज़िया भारत की पहली महिला सुल्तान बनी । रज़िया सुल्तान 1236 – 1240
  • पहली मुस्लिम महिला शासक ।
  • इल्तुतमीश ने इसे अपने जीवन काल मे ही सुल्तान घोषित कर दिया था ।
  • ग्वालियर अभियान के बाद इल्तुतमीश ने रज़िया के नाम के सिक्के भी चलाये ।
  • रज़िया एतगीन को अपना वज़ीर बनाया ।
  • रज़िया ने जमालुद्दीन याकूत को अमीर ए आखूर ( घोड़ो का सरदार ) बनाया ।
  • याकूत अबीसीनियाई ( इथोपिया ) हबशी था । यह रज़िया का वफादार था । ( कहा जाता है की रज़िया और याकूत के प्रेम संबंध थे )
  • इसलिए गैर तुर्क को सामंत बनाने से रज़िया की प्रजा के अमीर रज़िया के खिलाफ हो गए ।
  • भटिंडा का गवर्नर अल्तुनिया भगावत के देता है । जब अल्तुनिया के विद्रोह को दबाने के लिए रज़िया तबरहिंद की ओर जाती है । जहा पर अल्तुनिया रज़िया को बंदी बना लेता है ।
  • याकूत मारा जाता है और दिल्ली का शासन बहराम शाह चलाता है ।
  • रज़िया अल्तुनिया से शादी कर लेती है और पुनः दिल्ली को प्राप्त करने के लिए वापिस आती है । लेकिन 1240 मे कैथल ( हरियाणा ) मे रज़िया और अल्तुनिया की डाकुओ के द्वारा हत्या कर दी जाती है । बहराम शाह 1240 – 1242 अलाउद्दीन हुसैन शाह 1242 – 1246 नासीरुद्दीन महमूद शाह 1246 – 1266
  • इसको बलबन ने शासक बनाया और अपनी बेटी की शादी उससे कर दी । बलबन ने नासीरुद्दीन को उलूग खाँ की उपाधि दी ।
  • नासीरुद्दीन महमूद ऐसा शासक है जो पहले टोपी सीकर अपना गुजारा करता था ।
  • इसके शासन काल मे सारी शक्तियों का प्रयोग बलबन करता था । बलबन 1266 – 1286
  • नासीरुद्दीन की हत्या के बाद बलबन गद्दी पर बेठता है ।
  • बलबन राजस्व के दैवीय सिद्दंत को मानता था ।
  • बलबन ने खुद को” जिल्ल ए ईलाही “ ( खुदा की परछाई ) और “ नियामत ए खुदाई “ ( खुदा का नेक बंदा ) बताया ।
  • बलबन कुलीनता मे विश्वास करता था । वह मानता था की केवल उच्च कुल का व्यक्ति ही राजा बन सकता है ।
  • इसने खुद को ईरान के अफरा शियाब वंश का बताया । अपने बच्चो के नाम भी ईरानी शैली के ही रखे ।
  • इसने ईरानी त्योहार नौरोज़ मनाना प्रारम्भ किया ।
  • दरबार मे सिजदा और पैबोस की प्रथा चालू की ( सिजदा – घुटनो के बल बेठना या झुकना , सलाम ,,पैबोस – राजा के पावों को चूमना )
  • बलबन ने लोह और रक्त की नीति अपनाई ।
  • इसने सैनिको के लिए अलग से दीवान ए अर्ज़ के नामक विभाग की स्थापना की ।
  • इसके समय बंगाल के तुगरिल खान ने विद्रोह कर दिया । तुगरिल खान जो की बलबन का ही गुलाम था। सल्तनत का यह पहला मौका था जब किसी गुलाम ने विद्रोह किया ।
  • मलिक मुकद्दिर ने इस विद्रोह को कुचला और उसे बलबन ने तुगरिल कुश की उपाधि दी ।
  • अमीर खुसरो को पहली बार संरक्षण बलबन के बेटे गयासुद्दीन ने दिया ।
  • बलबन ने लाल महल और अपने मकबरे का निर्माण दिल्ली मे करवाया ।
  • बलबन ने कैख खान को अपना उत्तराधिकारी बनाया लेकिन अमीरों ने कैकोबाद को अपना अगला राजा बनाया । कैकोबाद बुगरा खान का बेटा था । बुगरा खान बलबन का बेटा था ।
  • कैकोबाद भोग विलासी व्यक्ति था 1290 मे उसको लकवा मार गया ।
  • इसके बाद क्यूमर्श को अगला सुल्तान घोषित कर दिया गया उस समय क्यूमर्श की उम्र एक वर्ष से भी कम थी ।
  • क्यूमर्श ग़ुलाम वंश का अंतिम सुल्तान था ।

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